२८ फरवरी विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में चर्चित लेखिका संतोष श्रीवास्तव के सद्य प्रकाशित कथा संग्रह 'प्रेम संबंधों की कहानियां' का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामदरश मिश्र के हाथों हुआ । नमन प्रकाशन दिल्ली से श्री अनिल कुमार द्वारा संपादित प्रेम संबंधों की कहानियां श्रंखला के अंतर्गत प्रकाशित संतोष श्रीवास्तव के कथा संग्रह में चौदह कहानियां हैं। अनिल कुमार ने इन चौदह कहानियों का जिक्र करते हुए बताया कि इन कहानियों में जिंदगी के तमाम रिश्तों को मात्र प्रेम से दृढ़ता मिली है। वरिष्ठ कथा लेखिका चन्द्रकान्ता ने कहा 'संतोष की कहानियां अबतक सामाजिक समस्याओं को लेकर मन में गहरा असर छोड़ती थीं अब प्रेम प्रधान कहानियों में संतोष की लेखनी ने निश्चय ही प्रेम की सर्व व्यापकता को उकेरा है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. राम दरश मिश्र ने लेखिका को बधाए देते हुए कहा कि वे लगातार मानवीय मूल्यों पर लिख रही हैं जो कि उनके प्रौढ़ लेखन का प्रतीक है। शहतूत पक गए हैं,अजुध्या की लपटें, अपना-अपना नर्क, मन में गहरे उतर कर तमाम भावों को आलोड़ित करती हैं। प्रकाशक नितिन गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। अंजुमन संस्था की महासचिव सुमीता केशवा ने संतोष श्रीवास्तव को पुष्प गुच्छ देकर बधाई दी। समय-संवाद के संपादक रमेशकुमार ने संतोष श्रीवास्तव का मुंह मीठा कराते हुए बधाई दी। कार्यक्रम में रजनीकान्त, विकेश निझावन, प्रकाश मनु, रजनी गुप्ता, अनीता कपूर, प्रेम भारद्वाज,दिवाकर भट्ट,वाज़दा खान, गोकरन. नीला प्रसाद,प्रेमचंद सहजवाला,गिरीश पंकज, देश निर्मोही, अंजनी कुमार,रवीन्द्र श्रीवास्तव, सरोज गुप्ता, गोपाल रंजन आदि कई जानीमानी हस्तियां शामिल थीं।
Saturday, March 10, 2012
प्रेम संबंधों की कहानियां ' का लोकार्पण
२८ फरवरी विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में चर्चित लेखिका संतोष श्रीवास्तव के सद्य प्रकाशित कथा संग्रह 'प्रेम संबंधों की कहानियां' का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामदरश मिश्र के हाथों हुआ । नमन प्रकाशन दिल्ली से श्री अनिल कुमार द्वारा संपादित प्रेम संबंधों की कहानियां श्रंखला के अंतर्गत प्रकाशित संतोष श्रीवास्तव के कथा संग्रह में चौदह कहानियां हैं। अनिल कुमार ने इन चौदह कहानियों का जिक्र करते हुए बताया कि इन कहानियों में जिंदगी के तमाम रिश्तों को मात्र प्रेम से दृढ़ता मिली है। वरिष्ठ कथा लेखिका चन्द्रकान्ता ने कहा 'संतोष की कहानियां अबतक सामाजिक समस्याओं को लेकर मन में गहरा असर छोड़ती थीं अब प्रेम प्रधान कहानियों में संतोष की लेखनी ने निश्चय ही प्रेम की सर्व व्यापकता को उकेरा है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. राम दरश मिश्र ने लेखिका को बधाए देते हुए कहा कि वे लगातार मानवीय मूल्यों पर लिख रही हैं जो कि उनके प्रौढ़ लेखन का प्रतीक है। शहतूत पक गए हैं,अजुध्या की लपटें, अपना-अपना नर्क, मन में गहरे उतर कर तमाम भावों को आलोड़ित करती हैं। प्रकाशक नितिन गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। अंजुमन संस्था की महासचिव सुमीता केशवा ने संतोष श्रीवास्तव को पुष्प गुच्छ देकर बधाई दी। समय-संवाद के संपादक रमेशकुमार ने संतोष श्रीवास्तव का मुंह मीठा कराते हुए बधाई दी। कार्यक्रम में रजनीकान्त, विकेश निझावन, प्रकाश मनु, रजनी गुप्ता, अनीता कपूर, प्रेम भारद्वाज,दिवाकर भट्ट,वाज़दा खान, गोकरन. नीला प्रसाद,प्रेमचंद सहजवाला,गिरीश पंकज, देश निर्मोही, अंजनी कुमार,रवीन्द्र श्रीवास्तव, सरोज गुप्ता, गोपाल रंजन आदि कई जानीमानी हस्तियां शामिल थीं।
Monday, February 6, 2012
जिसे ईश्वर ने सम्मानित किया, उसे पुरुष क्या सम्मानित करेगा ?
Thursday, December 29, 2011
हेमंत स्मृति कविता सम्मान रविकान्त को तथा विजय वर्मा कथा सम्मान नीला प्रसाद को
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मुंबई की लेखिकाएं सम्मानित
Monday, October 3, 2011
रुमानियत से रुहानियत तक का सफर तय करती है फ़ैज़ की शायरी
Sunday, August 28, 2011
हिन्दी टंकण करते समय आपको जिन संयुक्ताक्षरों को लिखने में विशेष कठिनाई होती है
हिन्दी टंकण करते समय आपको जिन संयुक्ताक्षरों को लिखने में विशेष कठिनाई होती है उसे दूर करने के लिये इस संक्षिप्त आलेख को लिखना मैं अपना उत्तरदायित्व मानता हूँ। यदि आप “बरहा” यूनिकोड प्रयोग कर रहे हैं तो संयुक्ताक्षरों के लिये निम्नवत टंकणादेश अपने कुंजीपटल पर दें।
१) क्ष = क+श+ह {k+(shift+h)+h}
२) ष = श+ह {(shift+h)+h}
३) ऋ = shift दबा कर r(यानि कि R)+उ(u)
उदाहरणार्थ :- क+ऋ = कृ जैसे कृत्य
ह+ऋ =हृदय
न+ऋ =नृत्य
४) ञ = ज+~(यह संकेत आपके कुंजीपटल में अंको के प्रारम्भ में ही रहता है जो कि shift कुंजी को दबा कर आता है)जैसे कि कञ्चन।
५) ज्ञ = ज + ~ + ज(यह अक्षर ज+ञ की संयुक्त ध्वनि है न कि ग+य की ध्वनि जैसा कि अधिकतर लोग बोलते हैं)
६) ङ = ~ + ग जैसे कि जङ्घा
७) ढ़ = shift दबा कर द + x ( x दबाने से नीचे बिन्दु लग जाता है। जैसा कि कई बार उर्दू से स्वीकारे अक्षरों ज़, ख़, क़ आदि के लिये करना पड़ता है।
आशा है कि आपको इस आलेख से पर्याप्त सहायता मिलेगी।
Friday, July 15, 2011
Monday, June 27, 2011
हेमंत फाउंडेशन एवं उर्दू मरक़ज़ के संयुक्त तत्त्वावधान में "आशिकाने हिंदी-उर्दू मंच" का प्रथम कार्यक्रम
हेमंत फाउंडेशन तथा उर्दू मरकज़ द्वारा स्थापित हिन्दी उर्दू मंच का उद्घघाटन समारोह २५ जून संध्या ६ बजे उर्दू मरकज़ सभागार मे सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों का पुष्पगुच्छ सहित स्वागत सम्मान से हुआ। मंच की अध्यक्ष चर्चित लेखिका संतोष श्रीवास्तव ने इन खूबसूरत पंक्तियों से मंच के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला- 'हिन्दी की एक बहन कि जो उर्दू ज़बान है/ वो इफ्तखारे कौम है भारत की शान है/ हिन्दी ने एकता के गुंचे खिलाए है/ उर्दू बहारे गुलशने हिन्दुस्तान है। उन्होंने कहा कि यह मंच दोनों भाषाओं की साहित्यिक एकता के लिये स्थापित किया गया है। आज का दिन साहित्य जगत की तारीख में दर्ज होगा। हम समय समय पर मुशायरा कवि सम्मेलन, सेमिनार, वर्कशाप आयोजित करेंगे साथ ही दोनों भाषाओं के साहित्यकारों की पुस्तकों का हिन्दी उर्दू में अनुवाद भी करायेंगे ताकि हम एक दूसरे के करीब आ सकें। संतोष जी ने अपनी गज़ल 'जिस्म से जान तक तू ही समाया लगता है' सुनाकर श्रोताओं का मन मुग्ध कर लिया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. अब्दुल सत्तार दलवी ने कहा कि हेमंत फाउंडेशन तथा उर्दू मरकज़ ने हिन्दी उर्दू मंच की स्थापना कर प्रशंसनीय कार्य किया है। हिन्दुस्तान के माहौल के लिए यह ज़रूरी था। इससे दोनों ज़बानों के साहित्यकारों की हौसला अफ़जाई होगी, उनके ज़ज्बे की कद्र होगी।
उर्दू मरकज़ के अध्यक्ष जुबैर आज़मी ने कहा कि एक जमाना था कि जब छोटी-छोटी महफिलें नागपाड़ा-मदनपुरा इलाके में जुटा करतीं थीं जिसमें हिन्दी उर्दू की नामी हस्तियां कैफ़ी आज़मी, मज़रुह सुल्तानपुरी, कमलेश्वर, नारायण सुर्वे आदि शिरकत करते थे। आज उसी रिवायत को हम आगे बढ़ा रहे हैं और दूर तलक जाने का ज़ज्बा रखते हैं।
इस काव्य गज़ल संध्या में उर्दू के शायर रियाज़ मुन्सिफ़, वकार आज़मी, रेखा रोशनी, शादाब सिद्दीकी, फारुक आशना, सैयद रियाज़, जमील मुर्सापुरी, सोहेल अख्तर, जुबैर आज़मी,रफ़ीक जाफ़र, अब्दुल अहद साज़, रायपुर से विशेष तौर पर इसी कार्यक्रम के लिये पधारीं छत्तीसगढ़ की उर्दू साहित्य अकादमी की सदर उज़्मा शेख ने अपनी गज़लें पढ़ीं वहीं मंच की कार्याध्यक्ष तथा शायरा सुमीता केशवा ने 'हद में रहने की बात करते हो' सुना कर वाह-वाही पाई। उर्दू के वरिष्ठ शायर दाऊद कश्मीरी ने रवीन्द्र नाथ टैगोर के शेर बांग्ला भाषा में सुनाये। हरि मृदुल, कैलाश सेंगर, आलोक भट्टाचार्य, शिल्पा सोनटक्के और अनीता रवि ने अपनी कविताओं से समा बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन आलोक भट्टाचार्य तथा आभार जुबैर आज़मी ने किया। इस कार्यक्रम में शायरों-अदीबों के साथ ही उर्दू-हिंदी के अनेक भाषा प्रेमियों ने शिरकत करी जिनमें से श्रीमती नादिरा मोटलेकर, गज़ाला आज़ाद, मुनव्वर आज़ाद, उर्दू मरक़ज़ के सक्रिय भागीदार श्री फ़रीद खान, इश्तियाक खान, श्री वसीम, लंतरानी मीडिया हाउस के प्रबंध निदेशक डॉ.रूपेश श्रीवास्तव, उर्दू वेबसाइट लंतरानी डॉट कॉम की संपादिका श्रीमती मुनव्वर सुल्ताना आदि ने भी कार्यक्रम में उपस्थिति दर्शा कर कार्यक्रम को सफल व सुफल बनाया। कार्यक्रम के सदर श्री अब्दुस्सत्तार दलवी ने रविन्द्र नाथ टैगोर तथा फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ से संबद्ध एक संयुक्त कार्यक्रम को मुंबई विश्वविद्यालय में कराने का भी विचार रखा जिस पर सभी ने सहर्ष एकस्वर में सहमति दी। कुल मिला कर इस दिशा में करे गये इस प्रकार के प्रथम कार्यक्रम के आगाज़ को देख कर उत्तम भविष्य का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। आयोजक गण बधाई के पात्र हैं। कार्यक्रम से संबद्ध झलकियों को टी.वी. पर ले जाने के लिये ई-टीवी उर्दू के जनाब मैनुद्दीन का भी सहयोग प्रशंसनीय है। इस कार्यक्रम की उर्दू में रिपोर्त www.lantrani.com पर भी नस्तालिक लिपि में प्रकाशित है।
कार्यक्रम की बयानी तस्वीरों की जुबानी
कार्यक्रम का प्रारंभ करते सूत्रधार वरिष्ठ कवि-पत्रकार श्री आलोक भट्टाचार्य जीकार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्री अब्दुस्सत्तार दलवी को पुष्पगुच्छ देते लंतरानी मीडिया हाउस के प्रबंध निदेशक डॉ.रूपेश श्रीवास्तव
बांए से दांए - उर्दू मरक़ज़ के निदेशक श्री ज़ुबैर आज़मी, डॉ.अब्दुस्सत्तार दलवी, वरिष्ठ कवि-शायर श्री अब्दुल अहद साज़, भाषाविदुषी-कवियत्री श्रीमती शिल्पा सोनटक्के
हेमंत फाउंडेशन की प्रबंध न्यासी वरिष्ठ कवियत्री-लेखिका-पत्रकार श्रीमती संतोष श्रीवास्तव को पुष्पगुच्छ देते हुए उर्दू वेबसाइट लंतरानी डॉट कॉम की संपादिका श्रीमती मुनव्वर सुल्ताना
श्री ज़ुबैर आज़मी को पुष्पगुच्छ देते हुए कवियत्री श्रीमती अनीता रवि
हेमंत फाउंडेशन की कार्याध्यक्ष श्रीमती सुमीता केशवा को पुष्पगुच्छ से सम्मानित करते हुए श्रीमती शिल्पा सोनटक्के
डॉ.श्री अब्दुस्सत्तार दलवी ने वरिष्ठ शायर श्री रफ़ी जाफ़र को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित करा
संबोधन करते हुए श्रीमती संतोष श्रीवास्तव
कवियत्री अनीता रवि ने पुष्पगुच्छ देकर वरिष्ठ साहित्यकार-कवि श्री दाउद काश्मीरी को सम्मानित करा
ई-टीवी उर्दू के कैमरामैन लगातार कार्यक्रम का छायांकन करते हुए
काव्यपाठ करते वरिष्ठ हिंदी कवि श्री हरि मृदुल
काव्यपाठ करते श्री रियाज़ मुंसिफ़
काव्यपाठ करते हुए भाषाविदुषी कवियत्री श्रीमती शिल्पा सोनटक्के और काव्यरस लेते श्री रफ़ी जाफ़र
बांए से दांए-फ़ारसी की विदुषी श्रीमती नादिरा मोटलेकर,श्रीमती मुनव्वर सुल्ताना, श्रीमती गज़ाला आज़ाद, श्री मुनव्वर आज़ाद एवं दिल्ली व देहरादून से पधारे अतिथिगण
काव्यपाठ करते हुए श्रीमती शादाब सिद्दीक़ी साथ में हेमंत फाउंडेशन की कार्याध्यक्ष श्रीमती सुमीता केशवा
काव्यपाठ करते हुए श्रीमती अनीता रवि
काव्यपाठ करते वरिष्ठ शायर श्री फ़ारुख आशना
पूरे तरन्नुम में काव्यपाठ करती श्रीमती सुमीता केशवा
श्रीमती संतोष श्रीवास्तव ने श्रीमती उज़मा शेख को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित करा
काव्यपाठ करते श्री वक़ार आज़मी
काव्यपाठ करते हुए श्रीमती रेखा किंगर "रोशनी"
काव्यपाठ करते वरिष्ठ कवि पत्रकार श्री कैलाश सेंगर
काव्यपाठ करते वरिष्ठ शायर श्री अब्दुल अहद साज़ जो कि हृदय की शल्यक्रिया होने के बाद पूर्ण स्वस्थ न होने के बावजूद भी साहित्यानुरागवश कार्यक्रम में पधारे
काव्यपाठ करते हुये श्री सैय्यद रियाज़
काव्यपाठ करते वरिष्ठ शायर श्री जमील मुर्सापुरी
संबोधित करते हुए बांग्ला के अशआर सुनाते श्री दाउद काश्मीरी
Wednesday, June 15, 2011
मैं खुद से सवाल करती हूं और............
[चर्चित लेखिका संतोष श्रीवास्तव से लेखिका,शायरा सुमीता केशवा की शब्द के लिए विशेष बातचीत]
Monday, June 13, 2011
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
ए अम्मा,ओ बापू,दीदी और भैया
पशु नहीं जन्मा था परिवार में
आपके ही दिल का चुभता सा टुकड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
कोख की धरती पर आपने ही रोपा था
शुक्र और रज से उपजे इस बिरवे को
नौ माह जीवन सत्व चूसा तुमसे माई
फलता भी पर कटी गर्भनाल,जड़ से उखड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
लज्जा का विषय क्यों हूं अम्मा मेरी?
अंधा,बहरा या मनोरोगी तो नहीं था मैं
सारे स्वीकार हैं परिवार समाज में सहज
मैं ही बस ममतामय गोद से बिछुड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
सबके लिए मानव अधिकार हैं दुनिया में
जाति,धर्म,भाषा,क्षेत्र के पंख लिए आप
उड़ते हैं सब कानून के आसमान पर
फिर मैं ही क्यों पंखहीन बेड़ी में जकड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
प्यार है दुलार है सुखी सब संसार है
चाचा,मामा,मौसा जैसे ढेरों रिश्ते हैं
ममता,स्नेह,अनुराग और आसक्ति पर
मैं जैसे एक थोपा हुआ झगड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
दूध से नहाए सब उजले चरित्रवान
साफ स्वच्छ ,निर्लिप्त हर कलंक से
हर सांस पाप कर कर भी सुधरे हैं
ठुकराया दुरदुराया बस मैं ही बिगड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
स्टीफ़न हाकिंग पर गर्व है सबको
चल बोल नहीं सकता,साइंटिस्ट है और मैं?
सभ्य समाज के राजसी वस्त्रों पर
इन्साननुमा दिखने वाला एक चिथड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
लोग मिले समाज बना पीढियां बढ़ चलीं
मैं घाट का पत्थर ठहरा प्रवाहहीन पददलित
बस्तियां बस गईं जनसंख्या विस्फोट हुआ
आप सब आबाद हैं बस मैं ही एक उजड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
अर्धनारीश्वर भी भगवान का रूप मान्य है
हाथी बंदर बैल सब देवतुल्य पूज्य हैं
पेड़ पौधे पत्थर नदी नाले कीड़े तक भी ;
मैं तो मानव होकर भी सबसे पिछड़ा हूं
क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........