कालक्रम में शाश्वत जो गूंज रहा वो शब्द है...
सनातन पहेलियां जो बूझ रहा वो शब्द है...
हृदय में जो दब गया था
कंठ में जो रुंध गया था
अचानक सशस्त्र हो कर चल पड़ा वो शब्द है....
वो शब्द है
वो शब्द है
भिंचे हुए जबड़ों और तनी हुई मुट्ठियों से
झाग के संग ओंठों से उबल पड़ा वो शब्द है
वो शब्द है
वो शब्द है
चीखता, चिल्लाता, गुर्राता, हुंकारता,
गरजता, फुंफकारता सम्हल खड़ा वो शब्द है...
वो शब्द है
वो शब्द है
नेत्र की शिराओं में रक्त से हस्ताक्षर कर
एक बूंद अश्रु जो निकल पड़ा वो शब्द है
वो शब्द है
वो शब्द है
धरा को जो रौंद कर, जो गगन में कौंध कर
रुधिर की ले लालिमा सजल खड़ा वो शब्द है
वो शब्द है
वो शब्द है
वो शब्द है
वो शब्द है................
कालक्रम में शाश्वत जो गूंज रहा वो शब्द है...
सनातन पहेलियां जो बूझ रहा वो शब्द है...
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